नेतरहाट की मैगनोलिया की प्रेम कहानी आपने सुनी क्या

गौतम चौधरी 

मैगनोलिया की कहानी आपलोगों ने अगर नहीं सुनी होगी, तो मैं आपको सुनाता हूं! यह एक अधूरी प्रेम कहानी है। दरअसल, विगत दिनों मैं नेतरहाट गया था। उस नेतरहाटा को घुमने गया था जिसे छोटानागपुर की रानी के नाम से जाना जाता है। यह झारखंड का बेहद प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। नेतरहाट झारखंड में ही नहीं देश भर में प्रसिद्ध है। घनघोर जंगलों से आक्षादित, समुद्र तल से 3761 फीट की ऊंचाई पर स्थित नेतरहाट झारखंड का वह मनोरम स्थल है, जहां नैनाभिराम सूर्यास्त और सूर्योदय देखने के लिए दुनियाभर से पर्यटक जाते हैं। बड़ी संख्या में विदेशी, खासकर पश्चिमी देशों के पर्यटक भी यहां आते हैं क्योंकि नेतरहाट एक ब्रितानी लड़की की प्रेम कहानी से भी जुड़ी हुई है। 

विगत दिनों में इंदिया गांधी राष्टÑीय कला केन्द्र की रांची शाखा के पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, आदिवासी आर्ट एंड हैंडिक्राप्त के कुछ विद्यार्थियों के साथ मैं नेतरहाट गया था। मेरे साथ इतिहास विषय में शोध कर रहे और सेंटर के अतिथि प्राध्यापक आदित्यनाथ झा भी साथ में थे। जैसे ही हमलोग बिशुनपुर से आगे बढ़े सर्पीले रास्ते ने हमारा मार्गदर्शन किया। हमारी गाड़ी बेहद शालीन चाल से आगे बढ़ रही थी। हमलोग आपस में बात करते आगे का रास्ता तय कर रहे थे। इसी बीच नेतरहाटा की घाटी आ गयी। सड़क के एक किनारे ऊंची पहाड़ी तो दूसरे किनारे सैंकड़ों फीट गहरी खाई। मेरे एक अभिन्न मित्र, कौशलेन्द्र कौशल ने मुझे नेतरहाट के मैगनोलिया की कहानी सुनाई थी। वह ब्रितानी लड़की, जिसने अपने प्रेमी की याद में अपने प्रिय घोड़े के साथ नेतरहाटा के सनसेट प्वाइंट पर ही घाटी में कूद कर जान दे दी थी। मैं गाड़ी में बैठे-बैठे मैगनोलिया की याद में खो गया, तब मुझे मैगनोलिया के प्रेमी उस आदिवासी चरवाहे के बासुरी की आवाद साफ-साफ सुनाई देने लगी थी। 

मैगनोलिया और चरवाहा बांसुरी वादक उसका हिरो मानों मेरे सामने जीवंत हो गया हो। पहाड़ियों में घुम रहा हो और बांसुरी बजा रहा हो। मसलन, लोग बताते है कि एक अंग्रेज आॅफिसर को नेतरहाट बहुत पसंद था। वह सपरिवार नेतरहाट घूमने आया और वहीं रहने लगा। उसकी एक बेटी थी। उसका नाम मैगनोलिया था। नेतरहाट गांव में ही एक चरवाहा था, जो सनसेट प्वाइंट के पास प्रतिदिन आता था। अपने मवेशियों को चराता था। मवेशी चराने के दौरान वह सनसेट प्वाइंट पर बैठ जाता था। इसके बाद वह मधुर स्वर में बांसुरी बजाता था। मादक, बेहद सुरीली आवाज वाली बांसुरी। इसकी चर्चा आसपास के कई गांवों में होती थी। चरवाहा तो चरवाहा ही होता है। आखिर जिसस भी तो एक चरवाहे ही थे। 

चरवाहे की बांसुरी की मधुर आवाज ने मैगनोलिया के दिल को छू लिया। मन ही मन वह बांसुरी बजाने वाले से प्रेम करने लगी। वह उससे मिलने के लिए बेकरार हो गयी। उसकी दीवानगी में मैगनोलिया भी सनसेट प्वाइंट के पास आने लगी। दोनों की आंखें चार हुईं। फिर दोनों धीरे-धीरे घुल-मिल गये। बातें शुरू हुई। बातें प्यार में बदल गयी. दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब आ गये।

मैगनोलिया घर से भाग कर हर दिन सनसेट प्वाइंट के पास चली जाती। बेहद तल्लीनता से उस चरवाहे की बांसुरी के साथ अपनी सुध-बुध खो बैठती। चरवाहा उसका नायक था। बांसुरी वाला नायक, एकदम फिल्मी नायक जैसा। कुछ दिनों बाद इसकी जानकारी मैगनोलिया के पिता अंग्रेज आॅफिसर को हो गयी। अंग्रेज अधिकारी आग बबूला हो गया। पहले तो अंग्रेज अधिकारी ने चरवाहा को समझाया। उसे मैगनोलिया से दूर रहने की नसीहत दी लेकिन प्यार कहां मानता है, जनाव, प्यार तो पागल होता है, अंधा होता है, कभी-कभी मजबूर हो जाता है तो कभी इतना ताकतबर होता है कि देश की सीमा को लांघ जाता है। प्यार में डूबे चरवाहा ने मैगनोलिया से दूर जाने से मना कर दिया। 

वही हुआ जो बराबर होता है। प्रेम की हत्या। गुस्से में आकर अंग्रेज अधिकारी ने चरवाहा की हत्या करवा दी। इसकी जानकारी मैगनोलिया को हुई, तो वह रो पड़ी। उसका दिल बार-बार चरवाहे को खोजता रहा। चरवाहे की मौत से आहत मैगनोलिया घोड़े के साथ सनसेट प्वाइंट के पास पहुंची और घोड़ा सहित पहाड़ से कूद गयी और उसकी मौत हो गयी। 

नेतरहाट में वह पत्थर आज भी मौजूद है, जहां बैठकर चरवाहा बांसुरी बजाता था। झारखंड सरकार के पर्यटन विभाग ने मैगनोलिया प्वांट को बेहद खूबसूरती से सजाया है। यहां मैगनोलिया व चरवाहे की प्रतिमा लगायी गयी है। जब कभी भी आप झारखंड आएं इस प्वांट का दीदार जरूर करें। यहां आपको सनसेट भी देखने को मिलेगा। 

प्रकृति ने जिस खूबसूरती के साथ नेतरहाट को बनाया है, यह अपने आप में प्राकृति का अनुपम उपहार है। नेतरहाट गुमला व लातेहार जिला के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित है। नेतरहाट का कुछ हिस्सा गुमला जिले के बिशुनपुर, तो कुछ हिस्सा लातेहार जिला के महुआडांड़ में पड़ता है। यदि आपको जाना हो तो झारखंड सरकार का पर्यटन विभाग उसकी सशुल्क व्यवस्था करता है। वहां रहने की उत्तम व्यवस्था है। पर्यटन विभाग का अपना अतिथि निवास है। वन विभाग और जिला प्रशासन की भी यहां अच्छी व्यवस्था है। इसके साथ ही साथ यहां एक नेतरहाट रिजार्ट के नाम से बेहद खुबसूरत रुकने की व्यवस्था है। यहां भी आप आॅननाइन बुक करा सकते हैं। वैसे खाली रहने पर आपको मौके पर भी मिल जाता है। 

एक बार जो नेतरहाट चला गया, वह नेतरहाट को जिंदगी भर नहीं भूल सकता। मैगनोलिया प्वाइंट, नासपाती के बगान, अपर घघरी, लोअर फॉल, शैले हाउस, पलामू बंगला, नेतरहाट स्कूल आदि की सुंदरता नेतरहाट की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। वहीं, यहां से ऊंची-ऊंची चोटियों व खाइयों से विहंगम दृश्यों की सुंदरता देखते ही बनती है। यहां की वादियों में चलने वाली ठंडी हवा मन के तार को बरबस ही छेड़ने लगती है। नेतरहाट की वादियों में खूबसूरत नजारों के साथ उस ब्रितानी आॅफिसर की बेटी मैगनोनिया की प्रेम कहानी आज भी उमर-घुमर रही है। सचमुच, नेतरहाट की वादियां धरती पर स्वर्ग देखने का एहसास दिलाती है।

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