पाकिस्तान में इस्लामिक स्टेट की धमक का मतलब


संजीव पांडेय
पाकिस्तान की सरदर्दी बढ़ गई है। क्योंकि खबर यह है कि इस्लामिक स्टेट के अबू बकर अल बगदादी के चेले यहां पहुंच चुके है। इससे पाकिस्तान में हिंसा का नया दौर शुरू होगा। दूसरे मुल्कों में जेहादियों से आतंक मचाना वाला पाकिस्तान अब जेहादियों के चंगुल में खुद इस तरह फंस चुका है कि निकलना मुश्किल लग रहा है। जेहादी अब कश्मीर और अफगानिस्तान में सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमले से ज्यादा पाकिस्तान में हमला कर ज्यादा आनंद ले रहे है। पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान के अलग-अलग अंगों दवारा हाल ही में दिए गए विरोधाभासी ब्यानों ने पाकिस्तानी असमंजस को सामने ला दिया है।

बलूचिस्तान सरकार की खुफिया रिपोर्ट हिलाने वाली है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस्लामिक स्टेट बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनखवा में पैठ जमा चुका है। इसका खंडन केंद्रीय गृह मंत्री निसार अली खान ने किया है। उन्होंने इस्लामिक स्टेट का पाकिस्तान में मौजूदगी को सिरे से खारिज कर दिया है। जबकि बलूचिस्तान सरकार की रिपोर्ट के अनुसार आईएस ने पाकिस्तान में दस हजार लड़ाकों की फौज तैयार कर ली है। इसमें ज्यादातर लड़ाके फाटा के खुर्रम एजेंसी और खैबर पख्तूनखवा के हंगू इलाके है। रिपोर्ट के अनुसार इस्लामिक स्टेट सैनिक और सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमले की योजना तैयार कर रहा है। लेकिन चिंता की बात है कि पाकिस्तान अलकायदा और इस्लामिक स्टेट के बीच चल रहे जंग का नया मैदान होगा। वहीं पाकिस्तानी आतंकी गुट भी अलकायदा और इस्लामिक स्टेट को समर्थन को लेकर विभाजित होंगे। इससे गुटीत आतंकी हमलों में भी वृदि होगी। लेकिन गंभीर मसला एक और है। इस्लामिक स्टेट के पाकिस्तान पहुंचने की सूचना से शिया संप्रदाय घबराया हुआ है। आतंकी संगठन जंदुल्लाह ने अपने जारी ब्यान में पुष्टि की है कि इस्लामिक स्टेट के प्रतिनिधि पाकिस्तान में मौजूद है। वहीं तक्षशीला के सैनिक प्रतिष्ठानों के पास इस्लामिक स्टेट के झंडे आतंकियों ने लहरा दिए है।

इस्लामिक स्टेट का पाकिस्तान में आने पर आतंकी गुटों में पाकिस्तानी धरती पर वर्चस्व की नई लड़ाई शुरू होगी। इस्लामिक स्टेट ने अलकायदा को सीरिया और पश्चिम एशिया के दूसरे मुल्कों से उखाड़ फेंका। इससे अलकायदा को आर्थिक नुकसान भी काफी हुआ। हाल ही में इस्लामिक स्टेट से परेशान अमन अल जवाहिरी ने दक्षिण एशिया में अपने को केंद्रित किया था। लेकिन अलकायदा के पीछे-पीछे इस्लामिक स्टेट दक्षिण एशिया में घुसपैठ करने की कोशिश में है। इस्लामिक स्टेट के साथ वही लड़ाके जुड़े है जो कभी अफगान तालिबान, अलकायदा और पाकिस्तानी तालिबान के साथ जुड़े रहे। इस्लामिक स्टेट ने पाकिस्तानी तालिबान के प्रभाव वाले फाटा के कुर्रम और खैबर पख्तूनखवा के हंगू से लड़ाकों की भर्ती की है। इसका मतलब साफ है कि तालिबान के कुछ गुटों ने अलकायदा की स्वामिभक्ति छोड़ इस्लामिक स्टेट के साथ जुड़ाव किया है। तभी इतनी संख्या में पाकिस्तानी तालिबान के प्रभाव वाले इलाके से इस्लामिक स्टेट के साथ लड़ाके आए है।

अलकायदा और इस्लामिक स्टेट के बीच वैचारिक मतभेद है। अलकायदा इस्लामी जेहाद की परिभाषा में दुनिया के दूसरे धर्मों को दुश्मन के रुप में शामिल करता है। जबकि इस्लामिक स्टेट की जेहाद की परिभाषा में दुश्मन सिर्फ इस्लामिक विरोधी दूसरे धर्म ही नहीं बल्कि इस्लाम में शामिल गैर सुन्नी संप्रदाय भी है। इसलिए पाकिस्तान की चिंता बढ़नी वाजिब है। देश में शिया आबादी बीस प्रतिशत है। यहां के शिया पहले से ही लश्कर-ए-झंगवी, जुंदाल्लाह और अहले सुन्नत वल जमात नामक आतंकी संगठन की हिंसा से पीडित है। ये तीनों संगठनों ने इस्लामिक स्टेट के साथ सांठगांठ कर ली है। पश्चिम और मध्य एशिया में संसाधनों पर कब्जे के लिए इस्लामिक स्टेट और अलकायदा के बीच जंग पिछले कुछ समय चल रही है। इस्लामिक स्टेट का मुखिया किसी जमाने में अलकायदा का ही सदस्य था और अबू मुसाब अल जराकवी के अधीन काम कर रहा था। अमन अल जवाहिरी के आदेशों को यह मानता था। लेकिन धीरे-धीरे इसने अलकायदा से अपना रास्ता अलग कर लिया। सबसे पहले इसने सीरिया में अलकायदा के आदेशों को दरकिनार करते हुए अलकायदा समर्थित आतंकी संगठन नुसरा फ्रंट और अलजभात के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। जबकि जवाहिरी ने अलबगदादी को एक होकर जेहाद के आदे दिए थे। बताया जाता है कि फूट का मुख्य कारण इस इलाके के हाइड्रोकार्बन और पेट्रोल पर कब्जा करना था। 
  
इस्लामिक स्टेट और अलकायदा की स्वामिभक्ति को लेकर पाकिस्तान के आतंकी संगठनों में पहले ही फूट पड़ चुकी है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान में विभाजन हो चुका है। एक गुट अलकायदा के साथ है तो एक गुट ने इस्लामिक स्टेट का समर्थन किया है। ओमर खोरासानी ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से विद्रोह कर जमातुल अहरार नामक आतंकी गुट बना लिया है। यह अलकायदा के साथ है। जबकि तालिबान के दूसरे गुटों ने इस्लामिक स्टेट को समर्थन दिया है। स्थानीय आतंकी संगठन अपने आर्थिक जड़ों को मजबूत रखने के लिए इन दोनों वैश्विक जेहादी संगठनों का संरक्षण और सहयोग लेने की कोशिश कर रहे है। पहले अकेले अलकायदा और अफगान तालिबान की स्थिति मजबूत थी तो पाकिस्तानी आतंकी संगठन इन दोनों संगठनों से अपना आशीर्वाद लेते रहते थे। लेकिन वैश्विक जेहाद में नया खिलाड़ी इस्लामिक स्टेट है जिसके समर्थक उतरी अफ्रीका से यूरोप तक फैले हुए है। पाकिस्तानी सरकार की चिंता बढ़ने का कारण वाजिब है। जेहादी आईएसआई के हाथ से निकल चुके है। क्योंकि आईएसआई जिन वैश्विक जेहादियों को किसी जमानें में अपने हाथ का खिलौना मानता था वो जेहादी अब आईएसआई को कुछ नहीं समझते है। उनके कई केंद्रो पर इन्होंने पाकिस्तान में सफलतापूर्वक हमला किया है। हाल ही में वजीरस्तान इलाके में सेना ने तालिबान के खिलाफ कार्रवाई की। फिर भी इस्लामिक स्टेट को यहां लड़ाके मिल रहे है। जानकारों के अनुसार पाकिस्तान में गरीबी और बेरोजगारी के कारण 1 से 2 लाख रुपये में जेहादी मिल सकते है। अगर सीरिया और इराक की तरह इस्लामिक स्टेट ने मासिक वेतन देने की योजना बनायी तो पाकिस्तान में लड़ाकों की बाढ आ जाएगी। इस्लामिक स्टेट दुनिया का सबसे अमीर आतंकी संगठन है। आईएस के पास 2 बिलियन डालर की परिसंपति है। जबकि अवैद तेल बिक्री से इस्लामिक स्टेट लाखों डालर कमा रहा है। इस्लामिक स्टेट 200 से 300 डालर मासिक वेतन अपने लड़ाकों को देता है। अगर पाकिस्तान में इस पैकेज की घोषणा बेरोजगार लड़ाकों के लिए बड़ी बात होगी।     
पाकिस्तान पहले से ही जेहादियों के फंडिग का बड़ा केंद्र बना हुआ है। लाहौर के यूएस कांसुलेट के एक केबल के अनुसार सऊदी अऱब के सलाफी- बहावी चैरिटी संगठन पाकिस्तान में सलाना 100 मीलियन डालर देवबंदी और अहले हदीथ विचारधारा से जुड़े मौलानाओं को दे रहे है। अकेले सऊदी अरब ने बहावी चैरिटेबल संगठनों ने अबतक 10 अरब डालर का दान पाकिस्तान में दिया है। यही पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय है। क्योंकि जेहादियों के इस फंडिग से पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियां बढ़ी है। इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पिछले दस सालों में 78 अरब डालर का नुकसान हो चुका है। उदोग धंधे चौपट हो चुके है और व्यापार के एकमात्र व्यापारिक केंद्र कराची पर भी आतंकियों का साया है। वैसे इस्लामिक स्टेट और अलकायदा के बीच वर्चस्व की लड़ाई में पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो सकता है।

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