पंजाब और पंजाबियत की भलाई के लिए सिमरजीत और परगट के साथ बनाया मंच-नवजोत सिंह सिधू

पूरी रणनीति की घोषणा 15-20 दिन बाद करूंगा
भाजपा में हूं या नहीं यह सवाल भाजपा वालों से पूछिए
गौतम चौधरी
चंडीगढ़। आवाज-ए-पंजाब कोई पार्टी नहीं, मंच है। मैंने परगट सिंह और सिमरजीत सिंह बैंस के साथ मिलकर पंजाब की समस्याओं का समाधान के लिए एक मंच का गठन किया है। यह कहना है पूर्व राज्यसभा सांसद भाजपा नेता नवजोत सिंह सिधू का। वीरवार को चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक पत्रकार वर्ता में नवजोत सिंह सिधू ने साफ शब्दों में कहा कि मैं भाजपा में हूं या नहीं यह सवाल भाजपा के नेताओं से पूछिए, मैं इसका जवाब नहीं दूंगा। 
आज के पत्रकार वर्ता में सिधू ने कई बातों का खुलासा किया और कहा कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल से मैंने कुछ भी नहीं मांगा लेकिन जब मैंने उनसे यह कहा कि पंजाब में मेरी भूमिका क्या होगी तो उन्होंने कहा कि आपकी प}ी को टिकट दूंगा और मंत्री भी बनाउंगा। मैं वापस चला आया जब मैंने अपनी प}ी को इस बात की जानकारी दी तो उन्होंने कहा कि दौड़ से पहले ही हमें दौड़ छोड़ने के लिए कहा जा रहा है। सिधू ने कहा कि पंजाब हमारा है यदि मैंने अपनी पार्टी को मां कहा था तो जननी और जन्मभूमि मेरी मातृभूमि है। इसको मैं छोड़ नहीं सकता इसलिए पंजाब की जनता और पंजाब खुशहाली के लिए मैंने केजरीवाल को ना कह दिया। क्योंकि जब उन्होंने मुझसे पूछा कि बोलिए आपको क्या दूं तो मैंने कहा कि आपके पास है क्या कि आप मुङो देंगे। मैं नेतृत्व करने वालि जाति से संबंध रखता हूं और मुङो दौड़ से बाहर रखने की बात कही गयी यह मुङो मान्य नहीं। 
आज से दो साल पहले मैंने अपनी पार्टी को राज्यसभा के लिए ना बोल दिया था। जब हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने मुङो बुलाकर कहा कि आपको राज्यसभा के लिए नामित कर दिया गया है तो मैंने भारी मन से माना लेकिन जब यह कहा गया कि आपको पंजाब की ओर देखना नहीं है तो बोझ बन चुके राज्यसभा की सदस्यता को मैंने त्याग दिया। मैं गुरु का बंदा हूं गुरु की नगरी को नहीं छोड़ने वाला। यहां की जनता ने मुङो चार बार सांसद और मेरी प}ी को एक बार विधायक बनाया। इतना बड़ा सम्मान मुङो जब गुरु नगरी की जनता ने दिया तो मैं उन्हें कभी नहीं छोड़ने वाला हूं। 
पत्रकार वर्ता में भाजपा नेता सिधू ने सत्तारूढ़ बादल गुट वाले शिरोमणि अकाली दल पर जबरदस्त हमला बोला और कहा कि पंजाब में जनता की सरकार को एक परिवार के लोगों ने अपहृत कर लिया है। आवाज-ए-पंजाब जनता की सरकार को सही मायने में जनता की सरकार बनाकर दिखाएगी। पंजाब आज उग्रवाद के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया है। हत्या करने वाले और नशों के कारोबारी खुलेआम घुम रहे हैं। सत्तातंत्र पर दंडतंत्र हावी है। जो राज्य अन्नदाता था, वीरों भी भूमि थी वह राज्य आज भिखारी बन गया है। प्रदेश के उपर दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। निजी स्वार्थ के लिए नौजवानों की बलि चढ़ाई जा रहा है। अन्न दाता किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। पंजाब का खोया स्वाभिमान दिलाने के लिए हमने आवाज-ए-पंजाब नामक मंच का गठन किया है। हमने सरबत दी भला के लिए पंजाबियत का नारा दिया है। पंजाब को न तो दंडतंत्र हांक सकता है और न ही मिडिल इंडिया कंपनी के नुमाइंदे चला सकते हैं। केजरीवाल पंजाबियों को लड़ाकर अपनी गोटी फिट करना चाहते हैं। वह मैं नहीं होने दूंगा। अकाली दल या कांग्रेस पार्टी कोई खराब नहीं है। उसमें बैठे लोग खराब हैं। हमारी लड़ाई घटियां लोगों के खिलाफ है, किसी पार्टी के खिलाफ नहीं। मास्टर तारा सिंह जी ने अच्छे लोगों को एकत्रित कर अकाली दल का गठन किया और हमारे आदर्श डॉ. प्रताप सिंह कैरो ने कांग्रेस को उंचाई प्रदान की। लेकिन आज दोनों ही पार्टी में अच्छे लोगों की कमी हो गयी है। ये दोनों एक ही थाली के चट्टेबट्टे हैं, एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। मैं पंजाब की जनता को सरज दिखाना चाहता हूं। अभी काले बादलों ने सूरज को ढक रखा है। सिधू ने कहा कि काले बादल छटेंगे और जल्द सूरज की रौशनी हमतक पहुंचेगी। 
जब सिधू से यह पूछा गया कि आपने भाजपा छोड़ दिया, तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह भाजपा वालों से पूछिए। मैं इसका जवाब नहीं दे सकता। 15 से 20 दिनों में अपनी पूरी कार्ययोजना का खुलासा करूंगा। अंत में बार-बार जब भाजपा के बारे में सवाल पूछा गया तो सिधू ने शे‘र सुनाते हुए कहा-कुछ तो मजबूरियां रही होगी, यूं कोई वेवफा नहीं होता।
पत्रकार वार्त के दौरान भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रह चुके परगत सिंह ने भी प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके परिवार पर जबरदस्त हमला किया और कहा कि पहले बाबा, बीबी और काके की सरकार थी, चलो हमलोगों ने उसपर भी समझौता कर लिया लेकिन जब डेमोक्रेसी के स्थान पर दंडाक्रेसी को स्थापित किया जाने लगा तो स्वाभाविक रूप से वहां बने रहना मेरे स्वाभिमान के खिलाफ था। उन्होंने कहा कि प्रदेश में धार्मिक नेताओं की हत्या हुई, धार्मिक ग्रंथों की बेअदवी हुई, मुख्यमंत्री तमाशा देखते रहे। अभी तक अपराधियों पर कार्रवाई नहीं हुई है। यह प्रदेश की जनता को धमकाने का एक अंदाज है और इसे किसी कीमत पर बरदास नहीं किया जाएगा। 

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